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अणिमा = यह बहुत ही अनूठी सिद्धि हैं जिससे अपने शरीर के आकार को अति सूक्ष्म से सूक्ष्म किया जा सकता हैं, एकदम अणु समान और हनुमान जी के पास इस सिद्धि को हम कई बार रामायण में देखे हैं, समुद्र लाघते समय हनुमान जी ने इसी सिद्धि से सुरसा को हराया था। यह सिद्धि प्राप्त करने के लिए देवी माता पार्वती और भगवान गणेश का आशीर्वाद अनिवार्य है।
महिमा= अपने आप को भव्य और विशाल बना सकते इस सिद्धि से , रावण, मेघनाद, कुंभकरण, हिरण्यकश्यप, जैसे कई असुरों के पास भी यह सिद्धि थी। हनुमान जी ने इसी सिद्धि का उदाहरण भगवान राम और लक्ष्मण को अपनी कंधे पर बैठा कर सिद्ध किया।
गरिमा = इस सिद्धि से अपना वजन बढ़ाया जा सकता हैं। अनगिनत वजन बढ़ाया जा सकता जिसे कोई भी हिला नही सकता। हनुमान जी ने एक बार भीम का घमंड तोड़ने के लिया अपनी पूछ को लांघ कर जाने की आज्ञा दी थी परंतु भीम ने पूछ को एक इंच भी नहि हिला सके तो ये थी सिद्धी की शक्ति।यह सिद्धि का सकारात्मक प्रयोग बाली पुत्र अंगद ने रावण की सभा में जब राम जी ने शांतिदूत बनाकर भेजा था तब अपना पैर जमीन पर टिका दिया था यही सिद्धि के माध्यम से जिसे कोई हिला तक नहीं पाया रहा था।
लघीमा = इस सिद्धी से शरीर के वजन को हल्का कर लिया जाता हैं। जिसमे कोई भी वजन नहीं रहता अर्थात गुरुत्वाकर्षण का कोई अनुभव उन्हें नहीं होता। जी हां वही गुरुत्वाकर्षण जिसे न्यूटन बाबा ने खोजा हैं और न्यूटन खुद भगवान और भगवान की शक्तियों में विश्वास रखता था। हनुमान जी हवा में उड़ जाते यही सिद्धी हैं और दूसरा वह पवन पुत्र है।इस सिद्धि को प्राप्त करने के लिए बिना अन्न और जल के तपस्या 60 माह तक चलती है।
प्राकाम्य=इसके माध्यम से कोई भी रोग हो तो उसे दूर किया जा सकता है। यह सिद्धि माता पार्वती के कालरात्रि स्वरूप और कामाख्या स्वरूप के आशीर्वाद से प्राप्त होती है। यह सिद्धि को प्राप्त करने के लिए आज्ञा चक्र का खुला होना अनिवार्य है। यह सिद्धि जिस किसी के पास होती है उन्हें कोई बीमारी नहीं आती। कोई विष का प्रभाव नहीं होता और दूसरो की बीमारी कैसी भी हो आप उस अल्प समय में दूर कर सकते हो। इसीलिए यदि आप हनुमान चालीसा रोज पड़ते हो तो रोग भी दूर हो जाते हैं।
इशित्व=यह सिद्धि जिस किसी के पास हो उन्हें ईश्वर की उपाधि मिलती है। हनुमानजी के पास भी यह सिद्धि थी। इसीलिए तो हम दत्तात्रेय और हनुमानजी को भगवान के रूप में पूजते है।
वसत्वा=यह सिद्धि के लिए बहुत ही अल्प प्रयास करने पड़ते है। केवल आज्ञा चक्र जागृत हो तो अल्प समय में यह सिद्धि प्राप्त करी जा सकती है। इससे आप किसी भी इंसान जीव या चीज को वशीभूत कर के अपने अनुसार कार्य करा सकते हो। यह सिद्धि माता पार्वती के शैलपुत्री रूप और माता सरस्वती की आराधना से मिलती है। यह सिद्धि भी हनुमानजी के पास थी किन्तु उन्होंने बचपन में अपनी मौज में कई ऋषि मुनियों को परेशान कर के रखा था तो श्राप मिला था वह सारी सिद्धियां तब तक भूले रहेंगे जब तक आवश्यकता के समय कोई उन्हें याद ना दिलाए। जांबवंत जी ने हनुमानजी को इस विषय में याद करवाया था जब सीता माता की खोज के लिए लंका जाने के लिए सागर पार करना था किन्तु इस सिद्धि का फिर कभी प्रयोग हनुमानजी ने नहीं किया था।
प्राप्ति =प्राप्ति सिद्धि में इंसान कुछ भी प्राप्त कर सकता है। इंसान ने चाहा कि उसे गाड़ी चाहिए तो वह प्राप्त कर सकता है। वह जो कुछ भी भौतिक चीज की इच्छा करें वह प्राप्त हो सकती है। यह सिद्धि भी हनुमानजी के पास थी। उनके अतिरिक्त कई देवता कई असुरों के पास भी थी। आपने शायद कोई ग्रंथ पढ़ा हो तो पता होगा अपने हाथों में कोई चीज ना होते हुए भी देवता लोग आकस्मिक आक्रमण के समय इस सिद्धि का प्रयोग कर के अस्त्र शस्त्र प्राप्त करते थे। यह सिद्धि भी रावण के पास और उसके सभी भाईयो के पास भी थी। इस सिद्धि के माध्यम से कोई भी भौतिक चीज प्राप्त कर सकते हो। कई ऋषियों के पास भी यह सिद्धि थी। वशिष्ठ मुनि के अलावा विश्वामित्र, अत्री मुनि, अगस्त्य ऋषि के पास भी थी। यह सिद्धि केवल भौतिक तत्वों की प्राप्ति के लिए उपयोग में आती है। फिर चाहे धन हो या कोई चीज।
दोस्तो यह सारी सिद्धियां को पाने के लिए सिर्फ एक जनम नहि बल्कि कई जन्म लग जाते है।
जो प्रमाणिक और एकनिष्ठ होकर तपस्या और नियमों का पालन कराता है उसे ये सिद्धियां आज भी प्राप्त हो सकती हैं।
सारी सिद्धियां होते हुए भी हनुमान जी सिर्फ राम राम ही भजते थे क्योंकि वह एक परम भक्त थे और भौतिक चीजों में उनको अधिक इच्छा नहि थी। यही कारण है है हनुमान जी की आज भी सेवा और उनकी स्मरण से लाखो लोग अपने अंदर जागृति और तेज का अनुभव करते हैं
जय श्री राम
जय पवनपुत्र हनुमान की जय
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